भोपाल की ज्वाला सहाय नया नवेला लॉन्जरी डिजाइनर का काम और मन में हज़ारों उमंगें लिए मुंबई लैंड करती हैं। प्यार की तलाश में वो कई डेटिंग ऐप्स की गलियों में भटकती फिरती है लेकिन कोई ढंग का बंदा नसीब नहीं होता। फिर एक दिन जब बाई-चांस वो एक हसीन प्रोफेसर के साथ उबर राइड शेयर करती है तो उसकी दुनिया ही बदल जाती है और उबर पूल बन जाता है ज्वाला का टिंडर। बस फिर तो उबर की फैंटेसी वाली अडवेंचरस राइड्स और हर राइड के बाद एक ब्राइट सा लॉंज़री का आईडिया। मैक्सिमम सिटी की अथाह गलियों में ज्वाला का उड़न यान गोते खाने लगता है और लॉंज़री की दुनिया में वो हर दिन नए पायदान चढ़ने लगती है। अंत में ज्वाला सहाय बन जाती है @लॉंज़रीवाली जो देश के सैंकड़ों बेज़ुबान महिला अंडरगारमेंट्स को ज़ुबान देने में कामयाब हो जाती है।
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