तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी- भावनाओं में बह कर त्रिशा बहुत बड़ा डिसीजन ले लेती है, जिससे उसकी ज़िन्दगी में तूफ़ान आ जाता है. ठीक इसी समय विक्रांत अचानक उससे टकराता है और एक बड़े एक्सीडेंट से उसको बचाता है. वहीं त्रिशा और राहुल में विक्रांत को लेकर तीखी नोंक झोंक होती है. राहुल त्रिशा पर विश्वास नहीं कर पाता है. क्या होगा अविश्वास की नदी में बहती प्रेम की नैया का?
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