दोस्ती की आहटें- अपने साथ हुए हादसे को किसी से शेयर न कर पाने की वजह से त्रिशा ट्रामा में है. उसके दोस्तों को लगता है कि राहुल के आ जाने से वो बदल गयी है. भीतर से टूटी हुई त्रिशा किसी काम से लखनऊ जाती है जहाँ विक्रांत से उसकी मुलाक़ात होती है. विक्रांत का साथ एक दोस्त के रूप में उसको सुकून पहुँचाने लगता है. क्या ये सुकून उसको राहुल से अलग हो पाने की हिम्मत देगा?
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