हमें मिलना ही था हमदम किसी राह भी निकलते- त्रिशा का पास्ट उसको विक्रांत की तरफ़ बढ़ने से रोकता है, वहीँ विक्रांत दूसरी बार त्रिशा की न नहीं सुनना चाहता है. वो इंडिया छोड़ कर जाने का फैसला करता है. लेकिन गीतांजलि के कहने पर आखिरी बार त्रिशा से मिलने को राजी होता है. क्या त्रिशा विक्रांत को जाने से रोक पायेगी? क्या उनकी दोस्ती मुहब्बत में बदलेगी? क्या राहुल का साया त्रिशा की ज़िंदगी से कभी दूर हो पायेगा?
Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, D ausgeliefert werden.