नगर में घूमती मंथरा जब राम के नाम की मुनादी सुनती है, तो उसका गुस्सा सांतवे आसमाँ पर पहुँच जाता हैं। वह महारानी कैकई को महाराज दशरथ के ऊपर उधार रखे दो वरो के बारे में याद दिलाती हैं।
Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, D ausgeliefert werden.