कैकई महाराज दशरथ को देवासुर संग्राम में किए रथ के सारथ्य, और उनकी जान बचाने की घटना याद दिलाती हैं। दशरथ अपने रघुवंशी होने का और वचन याद होने की बात कहते हैं। कैकई पहले वरमें राम को वनवास और दूसरे में भरत को राज्याभिषेक मांगती हैं। कैकई के शब्द सुन कर महाराज पर बिजली गिरती हैं वह वही बेसुध हो कर गिर पड़ते हैं।
Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, D ausgeliefert werden.