राम के राज्याभिषेक की तैयारिया जोरोपर हैं। कैकई राम को वचन बद्ध कर अपने दोनों वर सुनाती हैं। राम को चौदह वर्षों का वनवास और भरत को राज्याभिषेक। लक्ष्मण को रहाँ नहीं जाता। पर राम अपना भाग्य स्वीकार करता हैं।
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