शूर्पनखा लंका में पहुँच कर रावण को अपना दुखड़ा सुनाती हैं। और राक्षस जाती के काटे हुए नाक का बदला लेने के लिए रावण को उकसाती हैं। रावण मारीच के साथ मिलकर सीता के हरण की योजना बनाता हैं।
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