किष्किन्धा के राजसिंहासन पर सुग्रीव का राज्याभिषेक होता हैं। बारिश शुरू हो गई हैं। सीता बारिश में भीगती राम के आने का इंतेजार कर रही हैं। रावण अब सीता का अनुनयविनय नहीं करना चाहता वह सीता को जबरन पाना चाहता है।
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