राज्याभिषेक के बाद राम कैकई के महल उससे मिलने जाता हैं। उसने कैकई और दासी मंथरा दोनों को क्षमा कर दिया हैं। राज्याभिषेक के लिए आये मेहमान एक एक कर अब अपने अपने ठिकाने वापिस लौट जाते है।
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