महर्षि वाल्मीकि तमसा के किनारे मिथुन करते क्रोञ्च पक्षीयों को देखते है। तभी एक शिकारी उनमें से एक का शिकार करता है। क्रोञ्ची का आक्रोश सुन रामायण लिखने की प्रेरणा महर्षि को मिलती है।
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