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Rekhte ke Ustad : Faiz Ahmed Faiz (MP3-Download) - Rekhta
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उर्दू की तरक़्क़ी पसन्द शायरी की तारीख़ में कई अहम नाम हैं जिन्होंने सरमायादारी, जब्र, इस्तेहसाल यानी कमज़ोरों का शोषण, नाबराबरी और नाइंसाफ़ी के खिलाफ़ अपनी शायरी के ज़रिये इंक़लाबी आवाज़ बुलन्द की, इनमें जोश मलीहाबादी, असरारुल हक़ मजाज़, अली सरदार जाफ़री, मख़दूम मुहीउद्दीन, हबीब जालिब, एहसान दानिश, साहिर लुधियानवी और कैफ़ी आज़मी वगैरह को बेपनाह शोहरत हासिल है लेकिन अपने वक़्त की इन सभी इंक़लाबी शख़्सियतों में जो आवाज़ सबसे बुलंद, सबसे सुरीली, सबसे ज़्यादा असरदार और कानों और आंखों के रास्ते से इंसानी दिलों में उतर जाने वाली है, वह फ़ैज़ अहमद फै़ज़ की आवाज़ है। Written by Farooq Argali

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उर्दू की तरक़्क़ी पसन्द शायरी की तारीख़ में कई अहम नाम हैं जिन्होंने सरमायादारी, जब्र, इस्तेहसाल यानी कमज़ोरों का शोषण, नाबराबरी और नाइंसाफ़ी के खिलाफ़ अपनी शायरी के ज़रिये इंक़लाबी आवाज़ बुलन्द की, इनमें जोश मलीहाबादी, असरारुल हक़ मजाज़, अली सरदार जाफ़री, मख़दूम मुहीउद्दीन, हबीब जालिब, एहसान दानिश, साहिर लुधियानवी और कैफ़ी आज़मी वगैरह को बेपनाह शोहरत हासिल है लेकिन अपने वक़्त की इन सभी इंक़लाबी शख़्सियतों में जो आवाज़ सबसे बुलंद, सबसे सुरीली, सबसे ज़्यादा असरदार और कानों और आंखों के रास्ते से इंसानी दिलों में उतर जाने वाली है, वह फ़ैज़ अहमद फै़ज़ की आवाज़ है। Written by Farooq Argali

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