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घर में था क्या कि तेरा ग़म उसे ग़ारत करता वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है तेरह बरस की उम्र में उमराओ बेगम के साथ मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ाँ 'ग़ालिब' की शादी हुई। इसके बाद ग़ालिब अपने छोटे भाई मिर्ज़ा यूसुफ़ के साथ दिल्ली आ गए। दिल्ली : जिसने आख़िर में अपने हाकिम बहादुर शाह ज़फ़र को दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी नहीं मुहय्या की, उसी से ग़ालिब को अपने रुतबे की क़द्र की उम्मीद थी। Written by Mohd Aqib

  • Format: mp3
  • Größe: 23MB
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Produktbeschreibung
घर में था क्या कि तेरा ग़म उसे ग़ारत करता वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है तेरह बरस की उम्र में उमराओ बेगम के साथ मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ाँ 'ग़ालिब' की शादी हुई। इसके बाद ग़ालिब अपने छोटे भाई मिर्ज़ा यूसुफ़ के साथ दिल्ली आ गए। दिल्ली : जिसने आख़िर में अपने हाकिम बहादुर शाह ज़फ़र को दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी नहीं मुहय्या की, उसी से ग़ालिब को अपने रुतबे की क़द्र की उम्मीद थी। Written by Mohd Aqib

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