सद्गुरु के व्यक्त्तित्व के कई सारे आयाम हैं... गुरु, दिव्यदर्शी, योगी, मित्र, बहुत से जाने-अनजाने विषयों के सलाहकार, कवि, आर्किटेक्ट... वह एक ऐसे गुरू हैं जो न केवल योग सिखाते हैं बल्कि इंसान को सुखी और जागरूक बनाने के लिए जो उपदेश देते हैं वो सहज-सरल, व्यावहारिक और आधुनिक वैज्ञानिक व्याख्या के साथ होती है. सद्गुरु' ने इंसान को 'यदि आप परिवर्तन का विरोध करते हैं, तो आप जीवन का विरोध करते हैं' का मूल मंत्र देकर ज़िंदगी का वो सच बताया जिसे हम स्वीकार नहीं करना चाहते. सीख ये है कि कोई भी मुश्किल घड़ी क्यों ना आ जाए कभी जिंदगी से हार नहीं माननी चाहिए. सदगुरू पर उनकी पत्नी की 'आध्यात्मिक हत्या' तक के आरोप लगे लेकिन सद्गुरु ने बताया कि वो बस इतना ही जीना चाहती थीं क्योंकि उनके पास अब जीने की कोई वजह नहीं बची थी.
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