एक ऐसा मंदिर जहाँ घंटियों की आवाज़ नहीं बल्कि हारमोनियम और तबले की थाप सुनाई देती है. जहाँ कानों में आरती की जगह गुरु की बानी गूँजती है.जहाँ किसी मूर्ति की बजाय पूजा जाता है एक ग्रन्थ. वह पावन किताब जिसमें सिख समुदाय का है अटल विश्वास... यही इनके गुरु और यही इनके भगवान हैं... स्वर्ण मंदिर परिसर में ही बना है अमृत सरोवर... मान्यता है कि इसमें डुबकी लगाने या इसका पानी शरीर पर डालने से कई तरह की skin diseases ठीक हो जाती हैं. लोग बताते है इस सरोवर में एक बार एक काले कौवे ने डुबकी लगाई तो वो हंस बन गया... भले ही ये एक कहावत है पर लोगों की इस सरोवर में घोर आस्था है... इस अमृत सरोवर से ही शहर को नाम मिला अमृतसर. शहर, सरोवर और मंदिर - इन तीनों के बनने की कहानी भी बहुत अनोखी है!
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