आइ बिलीव इन म्यूजि़क, आइ बिलीव इन लव—हमेशा इन दो संगीतमय वाक्यों से अपने रौशनदानो की शुरुआत करनेवाली भारतीय पॉप संगीत की महारानी उषा उथुप रम्भा हो, पाउरिंग रेन, मटिल्डा, कोई यहाँ नाचे-नाचे और दोस्तों से प्यार किया सरीखे झूम-धूम-भरे बेशुमार गानों के संग लोगों के अन्तर्मन के धुँधले क्षितिज को हज़ार वाट की अपनी हँसी से सदैव जगमग करती आई हैं। वे देश-दुनिया की बाईस भाषाओं में गाती हैं। पर दुनिया-भर में फैले उनके प्रशंसकों को इस बात का कहीं से भी इल्म नहीं कि उल्लास की नाव बनकर निरन्तर जीवन की पताका लहरा रही उषा अपने आन्तरिक संसार में किस दु:ख, शोक और प्रहार की तीव्र लहरों के धक्कों से जूझती रही हैं। दरअसल, पाँच दशकों से भी अधिक के अपने सुदीर्घ करिअर में उषा उथुप ने अपने बारे में कम, अपने संगीत के बारे में ज़्यादा बातें कीं। मुम्बई में जन्मीं और पली-बढ़ीं, तमिल परिवार की उषा उथुप के पति केरल के हैं और उषा की कर्मभूमि कोलकाता है। इस लिहाज़ से वे एक समुद्र-स्त्री हैं, क्योंकि उनके जीवन से जुड़े सभी नगर-महानगर समुद्र तट पर हैं। इसलिए उनका संगीत समुद्र का संगीत है। एक ज़माना था जब पॉप संगीत को भारत में बहुत हल्के व फोहश रूप में लिया जाता था। पर उषा उथुप ने पॉप संगीत को हिन्दुस्तान में न सिर्फ ज़मीन दी, बल्कि सम्पूर्ण वैभव भी दिया। उषा ने पॉप संगीत से लेकर जिंगल, गॉस्पेल और बच्चों के लिए भी भरपूर गाया है. सुप्रसिद्ध पॉप सिंगर उषा उथुप की यह आधिकारिक जीवनी है जो सबसे पहले हिंदी में प्रकाशित हुई है। ● विकास कुमार झा ने इस जीवनी-लेखन के लिए जिस प्रकार से छोटी-से-छोटी बात का भी ध्यान रखा है, उस कारण से उषा उथुप के जीवन के लगभग हर पहलू को वे सामने ले आए सके हैं।
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