युवा कथाकार चंदन पांडेय का पहला उपन्यास जो उनकी 'नागरिक त्रयी' का पहला खंड है. उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर रंगमच के समूह के मार्फ़त हमारे समय में नागरिकता और नागरिक होने का दमदार आख्यान.
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