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कई बार ज़िंदगी में कुछ अनकहा, अनसुना सा रह जाता है. कुछ ऐसा ही दो दोस्तों पल्लवी और पल्लव के बीच है. वे दोनों एक बार फिर सालों बाद मिलते हैं लेकिन उनकी ज़िंदगी बहुत बदल चुकी है. ऐसे में क्या वो अपने मन की बात कह पायेंगे?

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कई बार ज़िंदगी में कुछ अनकहा, अनसुना सा रह जाता है. कुछ ऐसा ही दो दोस्तों पल्लवी और पल्लव के बीच है. वे दोनों एक बार फिर सालों बाद मिलते हैं लेकिन उनकी ज़िंदगी बहुत बदल चुकी है. ऐसे में क्या वो अपने मन की बात कह पायेंगे?

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