हिंदी सिनेमा की अद्वितीय ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने सही मायने में एक सपना देखा और पूरा होने तक उसका पीछा किया। हेमा को उनकी पहली ही तमिल फिल्म में डायरेक्टर ने अचानक यह कहकर ड्रॉप कर दिया कि उनमें स्टार क्वालिटी नहीं है। फिर हेमा ने राज कपूर के साथ मिली अपनी पहली हिंदी फिल्म साइन की। उस वक्त महज अठारह साल की हेमा ने अपनी खूबसूरती; मोहक अदाओं और करिश्माई अंदाज से फिल्म के तमाम शौकीनों के दिलों को जीत लिया। 'जॉनी मेरा नाम' से लेकर 'शोले' तक; 'मीरा' से लेकर 'बागबान' तक उन्होंने कई तरह के किरदार निभाए; जो हिंदी सिने-इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं। उन्होंने राज कपूर; देवानंद; संजीव कुमार; अमिताभ बच्चन; जीतेंद्र कुमार आदि सभी बड़े सितारों के साथ काम किया है; लेकिन स्क्रीन पर उनकी केमिस्ट्री अगर किसी के साथ खूब जमी; तो वह थे धर्मेंद्र। धर्मेंद्र के साथ उनके संबंध इतने गहरे थे कि अफवाहों का बाजार हमेशा गरम रहता था और तमाम परंपराओं को ताक पर रखते हुए हेमा ने मई 1980 में अपने जाट हीरो से शादी रचा ली। अपनी निजी और पेशेवर जिंदगी के बीच बेहतरीन संतुलन बिठाते हुए हेमा अपनी बेटियों ईशा और आहना के साथ बसी छोटी सी दुनिया को लेकर गरिमा का पूरा खयाल रखती हैं। अंतरंग चित्रण से भरपूर; भावना सोमाया के कलम से निकली; यह पहली अधिकृत जीवनी; हेमा के साथ एक फिल्म-पत्रकार और आलोचक के रूप में भावना सोमाया के कई साल लंबे संबंधों का परिणाम है।यह क़िताब ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की संपूर्ण जीवनगाथा है।ऑडियोबुक के रूप में इस क़िताब को सुनते हुए ऐसा लगता है, जैसे हम हेमा मालिनी को क़रीब से जानते हैं और उनकी ज़िंदगी के क़िस्सों में अपनी ज़िंदगी के क़िस्सों को भी ढूँढते हैं।
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