हमारी परम्परा में यह माना गया है कि गद्य कवियों का निकष होता है यह निरा संयोग नहीं है कि प्रायः सभी भारतीय भाषाओँ में महत्त्वपूर्ण कवियों ने अच्छा, सरस और रौशनी देने वाला गद्य लिखा है हम इस पुस्तक माला में ऐसा कवि-गद्य प्रस्तुत करने के लिए सचेष्ट हैं शंख घोष न सिर्फ इस समय बांगला के सबसे बड़े कवि हैं, वे भारतीय कवि समाज में भी मूर्धन्य हैं उनका गद्य हम दो खण्डों में प्रस्तुत कर रहे हैं वह उनकी सूक्ष्म जीवन और काव्य-दृष्टी का साक्ष्य है कई विषयों पर नए ताज़े ढंग से सोचने के लिए हमें प्रेरित भी करता है उनके यहाँ बारहा ऐसे अनुभवों को गद्य में रूपायित करने की चेष्टा है जो अक्सर गद्य के अहाते से बाहर रहे आये हैं-अशोक वाजपेयी